दो नैनों के सागर में, रहस्य कई इस गागर में.....
सुख में सजल, दुःख में ये विह्वल,
यूं ही कभी खिल आते हैं बन के कँवल,
शर्मीली से नैनों में कहीं दुल्हनं की,
रहस्यमयी प्रेमी अभिलाषा इन नैनों की....
तिलिस्म जीवन की कई, रहस्य की इस गागर में...
ये काजल है या है नैनों में बादल,
शायद फैलाए है मेघों ने अपने आँचल,
चंचल सी चितवन, कजरारे नैनों की,
ईशारे ये रहस्यमय, इन प्यारे से नैनों की....
है डूबे चुके कितने ही, इस रहस्यमयी सागर में.....
पल में ये गजल, पल में ये सजल,
हर इक पल में खुलती है ये रंग बदल,
कहती कितनी ही बातें अनकही,
रंग बदलती रहस्यमयी सी भाषा नैनों की....
अनबुझ बातें कई, रहस्य बनी इस सागर में...
सुख में सजल, दुःख में ये विह्वल,
यूं ही कभी खिल आते हैं बन के कँवल,
शर्मीली से नैनों में कहीं दुल्हनं की,
रहस्यमयी प्रेमी अभिलाषा इन नैनों की....
तिलिस्म जीवन की कई, रहस्य की इस गागर में...
ये काजल है या है नैनों में बादल,
शायद फैलाए है मेघों ने अपने आँचल,
चंचल सी चितवन, कजरारे नैनों की,
ईशारे ये रहस्यमय, इन प्यारे से नैनों की....
है डूबे चुके कितने ही, इस रहस्यमयी सागर में.....
पल में ये गजल, पल में ये सजल,
हर इक पल में खुलती है ये रंग बदल,
कहती कितनी ही बातें अनकही,
रंग बदलती रहस्यमयी सी भाषा नैनों की....
अनबुझ बातें कई, रहस्य बनी इस सागर में...
पल में ये गजल, पल में ये सजल,
ReplyDeleteहर इक पल में खुलती है ये रंग बदल,
कहती कितनी ही बातें अनकही,
रंग बदलती रहस्यमयी सी भाषा नैनों की....बहुत ख़ूब
सादर
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय अनीता जी।
Deleteसुंदर सृजन
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय ज्योति खरे जी।
Deleteबहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteआदरणीया ज्योति जी, बहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deletethanks for sharing....Bahut hi badhiya post hai.
ReplyDeleteआदरणीय राहुल जी, बहुत-बहुत धन्यवाद । welcome to you...
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