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Sunday, 3 February 2019

रहस्य

दो नैनों के सागर में, रहस्य कई इस गागर में.....

सुख में सजल, दुःख में ये विह्वल,
यूं ही कभी खिल आते हैं बन के कँवल,
शर्मीली से नैनों में कहीं दुल्हनं की,
रहस्यमयी प्रेमी अभिलाषा इन नैनों की....

तिलिस्म जीवन की कई, रहस्य की इस गागर में...

ये काजल है या है नैनों में बादल,
शायद फैलाए है मेघों ने अपने आँचल,
चंचल सी चितवन, कजरारे नैनों की,
ईशारे ये रहस्यमय, इन प्यारे से नैनों की....

है डूबे चुके कितने ही, इस रहस्यमयी सागर में.....

पल में ये गजल, पल में ये सजल,
हर इक पल में खुलती है ये रंग बदल,
कहती कितनी ही बातें अनकही,
रंग बदलती रहस्यमयी सी भाषा नैनों की....

अनबुझ बातें कई, रहस्य बनी इस सागर में...

8 comments:

  1. पल में ये गजल, पल में ये सजल,
    हर इक पल में खुलती है ये रंग बदल,
    कहती कितनी ही बातें अनकही,
    रंग बदलती रहस्यमयी सी भाषा नैनों की....बहुत ख़ूब
    सादर

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय अनीता जी।

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  2. Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय ज्योति खरे जी।

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  3. बहुत सुंदर रचना।

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    1. आदरणीया ज्योति जी, बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  4. thanks for sharing....Bahut hi badhiya post hai.

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    1. आदरणीय राहुल जी, बहुत-बहुत धन्यवाद । welcome to you...

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