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Friday, 17 January 2020

लहर सागर का श्रृंगार नही / हरिवंश राय बच्चन

लहर सागर का श्रृंगार नहीं

लहर सागर का नहीं श्रृंगार,
उसकी विकलता है;
अनिल अम्बर का नहीं खिलवार
उसकी विकलता है;
विविध रूपों में हुआ साकार,
रंगो में सुरंजित,
मृत्तिका का यह नहीं संसार,
उसकी विकलता है।

गन्ध कलिका का नहीं उदगार,
उसकी विकलता है;
फूल मधुवन का नहीं गलहार,
उसकी विकलता है;
कोकिला का कौन सा व्यवहार,
ऋतुपति को न भाया?
कूक कोयल की नहीं मनुहार,
उसकी विकलता है।

गान गायक का नहीं व्यापार,
उसकी विकलता है;
राग वीणा की नहीं झंकार,
उसकी विकलता है;
भावनाओं का मधुर आधार
सांसो से विनिर्मित,
गीत कवि-उर का नहीं उपहार,
उसकी विकलता है।

रचयिता: हरिवंश राय बच्चन 
हरिवंश राय बच्चन (२७ नवम्बर १९०७ – १८ जनवरी २००३) 
पुन्यतिथि पर नमन

3 comments:

  1. शत -शत नमन |सुंदर पोस्ट |बच्चन जी बहुत बड़े कवि थे |

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  2. Let me tell you something...

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 02 फरवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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