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Tuesday, 10 September 2019

महादेवी वर्मा: शेष कितनी रात है?

महादेवी वर्मा (२६ मार्च १९०७ — ११ सितंबर १९८७) हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं।

वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है।कवि निराला ने उन्हें “हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती” भी कहा है।

आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हीं की एक रचना उद्धृत है:

पूछता क्यों शेष कितनी रात?
छू नखों की क्रांति चिर संकेत पर जिनके जला तू
स्निग्ध सुधि जिनकी लिये कज्जल-दिशा में हँस चला तू
परिधि बन घेरे तुझे, वे उँगलियाँ अवदात!

झर गये ख्रद्योत सारे,
तिमिर-वात्याचक्र में सब पिस गये अनमोल तारे;
बुझ गई पवि के हृदय में काँपकर विद्युत-शिखा रे!
साथ तेरा चाहती एकाकिनी बरसात!

व्यंग्यमय है क्षितिज-घेरा
प्रश्नमय हर क्षण निठुर पूछता सा परिचय बसेरा;
आज उत्तर हो सभी का ज्वालवाही श्वास तेरा!
छीजता है इधर तू, उस ओर बढता प्रात!

प्रणय लौ की आरती ले
धूम लेखा स्वर्ण-अक्षत नील-कुमकुम वारती ले
मूक प्राणों में व्यथा की स्नेह-उज्जवल भारती ले
मिल, अरे बढ़ रहे यदि प्रलय झंझावात।

कौन भय की बात।
पूछता क्यों कितनी रात?

शत्-शत् नमन....

4 comments:

  1. TamilRockers New Link
    आपने बहुत अच्छा लेखा लिखा है, जिसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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  2. महादेवी वर्मा ,...wow...bachpan me agar mujhe thik se yaad he to,..sabse pehale.inhii ki kahaaniyon ne mujhe prkreeti si jodhaa....

    inki kahaaniyaa bahut hi saadhaarn topics liye magar bahut hi gehre baahw se bhari hoti thi.....

    achhi prastuti

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  3. Wow such great and effective
    Thanks for sharing such valuable information with us.
    BhojpuriSong.IN

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  4. आपने बहुत अच्छा लेखा लिखा है, बहुत बहुत धन्यवाद

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